tag:blogger.com,1999:blog-8904778475591255224.post1905736660992717471..comments2015-05-21T13:18:27.497-07:00Comments on Lalitlekh: गज़ब कानून...! २shamahttp://www.blogger.com/profile/15550777701990954859noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8904778475591255224.post-9312343506309271032009-04-23T00:20:00.000-07:002009-04-23T00:20:00.000-07:00हमारी न्यायव्यवस्था निरंकुश छुट्टे सांड़ की माफिक ...हमारी न्यायव्यवस्था निरंकुश छुट्टे सांड़ की माफिक हो गई है, कार्यपालिका या विधायिका पर तो अंकुश है पर न्यायपालिका पर नहीं. कार्यपालिका और विधायिका के भ्रष्टाचार पर हम उंगली उठा सकते हैं लेकिन न्यायपालिका के भ्रष्टाचार पर न्यायालय की अवमानना हो जाती है<br /><br />मुझे तो आश्चर्य है कि शेखावत एसा कहने की हिम्मत <br />कैसे कर पाये? न्यायालय के गलत कामों पर कोई भी कहीं भी बहस नहीं हो सकती<br /><br />सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश का बेटा उसी न्यायाधीश के घर से अपनी रीयल एस्टेट कंपनी चलाता है और वह न्यायाधीश बेटे को फायदा पहुंचाने के लिये दिल्ली में सीलिंग का कहर बरपा डालता है, अनेकों प्रभावित लोग आत्महत्या कर लेते हैं, उस न्यायाधीश के बेटे को आर्थिक फायदा होता है लेकिन कोई उस न्यायाधीश के खिलाफ कुछ भी कह नहीं सकता<br /><br />मिड डे ने इस पर एक रिपोर्ट छापी थी, जिस पर उसके पत्रकार जेल भेज दिये गये और अभी भी न्यायालय की अवमानना का मामला भुगत रहे हैं, <br /><br />डॉ. धरमवीर ICS , ने पुलिस रिफार्म्स के लिए क्या सुझाव दिये थे? क्या आप इस पर एक पोस्ट लिख सकते हैं?दास कबीरhttps://www.blogger.com/profile/11077134121111525087noreply@blogger.com