tag:blogger.com,1999:blog-8904778475591255224.post5883024546061027678..comments2015-05-21T13:18:27.497-07:00Comments on Lalitlekh: जा, उड़ जारे पंछी १)(एक माँ का अपनी दूर रहनेवाली बिटिया से किया मूक sambhashanshamahttp://www.blogger.com/profile/15550777701990954859noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8904778475591255224.post-73363309384801887332009-12-18T02:59:29.976-08:002009-12-18T02:59:29.976-08:00माँ, दया, ममता, त्याग का दूसरा नाम. माँ बच्चों के ...माँ, दया, ममता, त्याग का दूसरा नाम. माँ बच्चों के लिए अपने सुख त्याग देती है, दुखों से नाता जोड़ लेती है और वही बच्चे बड़े होने के अचानक अपनी खुशियों से माँ को बहर कर देते हैं. फिर माँ, सिर्फ यादों केसहारे उम्र की मंजिलें तय करती है. आपने शायद खुद के अनुभव लिखे हों लेकिन एक बात कहूँगा---ह्यूमन साइकलोजी पर आपका पूरा नियंत्रण है और आप उसका भरपूर प्रयोग करने में सक्षम हैं. कथा में, किसी भी पात्र के उपस्थित न होने के बावजूद, केवल एक(माईसेल्फ) की यादों के इस्तेमाल से सभी की अनुपस्थिति महसूस नहीं होने दी, वह काबिले-तारीफ है. मुबारक.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8904778475591255224.post-52519752473886953642009-12-17T03:55:56.699-08:002009-12-17T03:55:56.699-08:00मेरा आँचल इतना लंबा कहाँ, जो सात समंदर पार पोहोंच ...मेरा आँचल इतना लंबा कहाँ, जो सात समंदर पार पोहोंच पाये??ना मेरी सेहत ऐसी के तेरे पास उड़के चली आयूँ!!नाही आर्थिक हालात!!अंधेरी रातोंमे अपना सिरहाना भिगोती हूँ। <br />kah nahi sakti is ahsaas ko ,<br />jo kuchh kah sakti hoon sirf inhi shabdo me ----<br />jaroort nahi ahsaas ko alfaaz ki koi ,samundar ki tarah ahsaas me siddat hi kafi hai .<br />maa ki mamta chhalak rahi paimane ke bahar ,samjh sakega kewal wahi ,hai jiske paas ye chadar .bahut hi bhini bhiniज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.com