Friday, March 27, 2009

ये जज़बा सलामत रहे...!

Wednesday, December 3, २००८

इस वक़्त मुंबई के गेटवे ऑफ़ इंडिया पार उमड़ा हुआ जनसागर, टीवी पे देख रही हूँ...मन भर आया है...सलामत रहे ये जज़्बा...सलामत रहे मेरा देश...! कहीँ ये बात सिर्फ़ आयी गयी हो जाए..लोग बोहोत जल्दी हर बात भूल जाते हैं....डरती हूँ, कहीं ऐसा हो...! हमें अब हमारा जोश, हमारी दिलेरी हमारी एकता हर हालमे बनाये रखनी है...आज हमारी रखवाली हमही कर सकते हैं...हमारे चुने गए नेतागण किसी काबिल नही...जबकि येभी सच है की उनका निर्माण किसी प्रयोगशालामे नही हुआ...ये हमारीही माँ बेहनोंके जाये हैं....!तो फिर हम कहाँ चूक गए...चूक रहे हैं ? क्या हमारे परिवारोंमे देशभक्ती के संस्कार नही होते ? क्या हमारी शिक्षा प्रणाली हमारे बच्चों को अच्छे नागरिकत्व की शिक्षा नही देती ? क्या सिर्फ़ इतिहास भूगोल, गणित आदिकी शिक्षा लेके हम अपने आपको शिक्षित कहलाने लगते हैं?


पोलिस मेह्कमेके अनगिनत सवालोंको उठाते हुए ,एक डॉक्युमेंटरी बनाना चाह रही हूँ... ... जातीयवाद, आतंकवाद और सुरक्षा करमी, जिनके हाथ कानून ने किसतरह बाँध रखे हैं, इन सभी मुद्दोकोका विश्लेषण होगा, और देशके एहम व्याक्तियोंके इंटरव्यू लिए जायेंगे...जानकारोंका इन मुद्दोंको लेके क्या कहना है, जो इन मुद्दोंसे जुड़े रहे हैं, वो इस समय क्या कहना चाहते हैं....ये सब का जायजा लिया जाएगा...ये केवल भावनात्मक खेल नही है...एक अभ्यासपूर्ण, लेकिन लोगोंको गहरायीतक सोचनेको मजबूर करनेवाली, झकझोर के रखनेवाली पेशकश होगी।
मुझे ज़बरदस्त मेहनत करनी होगी...हर ओरसे सहायताकी दरकार कर रही हूँ...उम्मीद रख रही हूँ...

कई महिलायें, जो अपनी ओरसे, अपने देशके लिए कुछ करना चाहती होंगी और दबके रह जाती होंगी.... उन्हें एक प्रेरक तरीक़ेसे साहस दिलाना चाहती हूँ...!उठो, कि और कोई नही तो मै हूँ ! मै हूँ ना...! आओ, मेरे साथ हाथ मिला सकती हो तो मिलाओ....एक ज्योतसे दूसरी जलाओ...शायद अनंत ज्योतियोंकी एक श्रृंखला हम बना पायें.....! नाउम्मीद ना हो...आज नही तो कल, हमारी दख़ल हमारे परिवारोंको लेनीही पड़ेगी ! हमें येभी ज़िम्मेदारी निभानी है ! एक जागरूक माँ से बढ़के कौन अपने बच्चों को सही राह दिखा सकती है? कोई नही...!

जब सारे देशका प्रतिनिधित्व मुम्बई कर रही है, निर्भयतासे, और वो तीनो ठाकरे अपनी "सेना" के साथ किसी दड्बेमे घुसे हुए हैं, मेरी बहनों, तुम उठो...उठो कि हमारे बच्चों को एक दिशा दिखानी है...कहीँ वो फिर एकबार भटक ना जायें....उन्हें धोकेमे डालके कोई ख़ुद गर्ज़ भटका ना दे ...हमें सतर्क रहना है...हमारे तिरंगेको आकाशमे गाडे रखना है.....वरना ये बारूद्के ढेर पे बैठी हुई दुनिया, बमोंके धमाकोंसे हमें डराती हुई दुनिया, हमारे हर शहीद के बलिदानको बेकार बना सकती है, हर बलिदान ज़ाया जा सकता है....गांधी के पहलेसे लेके आजतक का हर बलिदान निरर्थक हो जाएगा...वो माँ यें, वो वीरांगनाएँ, उनके भाई, बेहेन सब निराश हो तकते रह जायेंगे और दरिन्दे आतंक की आड्मे हमें निगल जायेंगे...!

10 comments:

अभिषेक मिश्र April 3, 2009 at 7:15 AM  

स्वागत ब्लॉग परिवार में.

नवनीत नीरव April 3, 2009 at 7:15 AM  

ab hamein sochana hi nahi kuchh kar gujarna hoga is aatank ke khilaph.Bhut achchha likha hai aapne.
Navnit Nirav

ज्योत्स्ना पाण्डेय April 3, 2009 at 8:17 PM  

चिट्ठाजगत में आपका हार्दिक स्वागत है ,आपके लेखन के लिए मेरी शुभकामनाएं ........

Abhi April 3, 2009 at 10:53 PM  

swagat hai,
kabhi yahan bhi aayen
http://jabhi.blogspot.com

Sanjay Grover April 4, 2009 at 2:51 AM  

Waqai..
ये जज़बा सलामत रहे..

रचना गौड़ ’भारती’ April 4, 2009 at 6:47 AM  

bloging jagat me aapka swaagat hai.
aage aur unnati ke liye meri shubhkaamnaye aapke saath hain.
bahut acha hai!
logon me jagrati laane ke liye ye acha zaria hai

संगीता पुरी April 5, 2009 at 11:11 AM  

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

अभिषेक मिश्र April 7, 2009 at 12:37 AM  

प्रायोजित हो या स्वतःस्फूर्त मगर मुंबई के लोगों के साथ शायद सारे देश ने हालात से समझौता कर लिया है. अधिक-से-अधिक वो मतदान को ही अपना हथियार बनायेंगे. लोकतंत्र में ऐसा होना भी चाहिए. आपकी डॉक्युमेंटरी लोगों को जागरूक कर सके, शुभकामनाएं.

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